Friday 25 September 2015

"काशी में भी जमने लगी बिहारी चुनाव के चाय की चुस्की"

जहा राख भी रख दो तो वह "पारस" बन जाता है...
यु ही नहीं हर शहर "बनारस" बन जाता है...

 

बनारस इसकी एक अलग गरिमा है...एक अलग पहचान है....भोले बाबा की नगरी है...माँ गंगा की गोद में बसा है...बनारस धरती पर सबसे प्राचीन नगर...बिहारिओ का जमघट है यहाँ...कुल ३२% आबादी यहाँ बिहार से है...एक तरफ बिहार में चुनावी पारा तेज है तो भला भोले बाबा की नगरी बनारस इससे कैसे अछूता रह सकता है....बिहार के कौमुर,बक्सर,रोहतास,मोहनिया,छपरा आदि की काफी आबादी यहाँ है इसके अलावा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लगभग बिहार के हर जिले से बच्चे है....
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में बिहार के लगभग ४० % आबादी है तभी तो बच्चे इसे मज़ाक में बिहार हिन्दू यूनिवर्सिटी भी कह देते है.....

बनारस के "सामने घाट इलाके,छित्तूपुर ,पाण्डेयपूर ,चितईपुरी,आदि में बिहारी माददाताओ का जमघट है ये जिस चाय के दूकान पर जमते है वहा बिहारी चुनावी महफ़िल जम जाती है...कल मै कॉलेज जाने के क्रम में सुबह सुबह चाय की चुस्की लेने एक चाय के दूकान पर गया...
चाय पिने के दौरान वह बैठे बक्सर के एक मित्र ने बिहार चुनाव के समीकरण पर बहस चीर दी...अब भला मै भी बिहार से हु तो इससे कैसे भाग जाते हमने भी लगा अपना समीकरण पेस करने....फिर कुछ बनारसी भैया लोग भी आ गए चाय पिने कुछ चाचा लोग कुछ बाबा लोग भी..समीकरण इतना जमा की १ चाय की प्याली खत्म करने में कुल ४५ मिनट लग गए मुझे....
कोई विकास के मुद्दे उछाल रहा था तो कोई जंगलराज की बात कर रहा था किसी के लिए लालू नौटंकी तो किसी के लिए मोदी फेकू नजर आ रहे थे...तो कोई कोई नितीश कुमार को गजेरी तक कह दिया.... पटना में संपन्न महागठबंधन की रैली में एक मंच पर सोनिया, नीतीश और लालू तथा भागलपुर में नरेंद्र मोदी की रैली बनारस में रह रहे बिहारी मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय है। 

एक तरफ सरको पर बनारसी व् बिहारी लोग चुनावी सरगर्मी का मजा ले रहे है तो भला बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी कैसे छूट सकता है....चुकी बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में काफी बच्चे राजनितिक शास्त्र व् समाजशास्त्र से स्नातक कर रहे है और कुछ लोग अपना भविस्य भी राजनीति में लगाना चाहते है...बक्सर से राजनीतिक गतिविधिओं पर नजर रख रहे छात्र अखिलेश पाण्डेय का कहना है की चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है और इसको मै नही छोर सकता हालांकि इस बार के चुनावी समीकरण से आहत है इसके वाव्जूत भी लोकतंत्र के पर्व मानाने बक्सर जाएंगे कहते है वोट तो निश्चित ही दूंगा चाहे नोटा ही क्यों न दबाना परे.... इस तरह मै भी उत्सुक हु बिहार चुनाव को लेकर वोट भी देने की सोच रहा हु .....अगर परीक्षा नामक आपदा चुनाव पर कुछ प्रभाव न डाले...तो मै भी बिहार जाऊँगा और चुनाव में अपनी सहभागिता निभाउंगा|

 

"जय हिन्द"

 

लेखनी:-विकाश जी
संपर्क सूत्र:-7870213118


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